(पंजाब दैनिक न्यूज़) देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी वर्चुअल सभाएं कर रही हैं। ऑनलाइन सोशल मीडिया के जरिए वोटरों को लुभाने की कोशिश की जा रही है। जहां सबके अपने-अपने दावों वाले पोस्टर घूमने लगे हैं. पोस्टरों की इबारत देखकर तो ऐसा लग रहा है मानो 10 मार्च के लिए ये दावे इसलिए भी बड़े-बड़े हैं, क्योंकि यूपी का चुनाव किसी महासंग्राम से कम नहीं है. इस चुनाव पर सबकी नजरें हैं. 2024 के देश के आम चुनाव का एक सिरा यूपी से ही जुड़ता है. इसलिए सबसे बड़ी चुनौती सत्ताधारी बीजेपी के लिए है कि क्या वो सत्ता में वापसी कर पाएगी? क्या योगी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बन पाएंगे?चुनौती तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष औऱ यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के सामने भी कम नहीं है. 5 साल पहले की करारी हार का मलाल उन्हें अब तक है, इसीलिए उन्होंने इस बार अपनी रथयात्रा के जरिये शक्ति प्रदर्शन करने का कोई मौका नहीं चूका. इस महाप्रचार के दम पर वो समाजवादी पार्टी को बीजेपी की सीधी टक्कर में ले आए.
यूपी में दांव तो कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का भी है. प्रियंका गांधी रैलियों और सभाओं के जरिये वोटरो तक पहुंच चुकी हैं. अब कोरोनाकाल में वो वर्चुअल संवादों की तरफ मुड़ गई हैं. लेकिन बीएसपी सुप्रीमो मायावती तो चुनाव की घोषणा से पहले ये भी नहीं कर पाईं.वैसे दांव सिर्फ यूपी में ही नहीं हैं. पंजाब की सियासी लड़ाई में भी कई मोर्चे खुले हुए हैं. यहां चुनावों से कुछ पहले किए गए कांग्रेस के राजनीतिक प्रयोग की परीक्षा भी होनी है. इस बार का पंजाब चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए भी अहम है. पिछली बार हवा बनाने के बावजूद वो सत्ता के लिए जरूरी अंकों के आसपास भी नहीं पहुंच पाए थे.जहां तक उत्तराखंड की बात है तो इस छोटे राज्य में बीजेपी के राजनीतिक प्रयोग की परीक्षा होनी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य की जनता बीजेपी को दंड देगी और उनकी पार्टी को फिर सत्ता में आने का मौका मिलेगा.बहरहाल अब तो चुनावी बिगुल बज ही चुका है. राजनीतिक पलटनें एक बड़ी जंग के लिए कमर कसे हुए हैं. ये दो महीने देश की राजनीति के लिए बहुत अहम होने जा रहे हैं.
